वाहन पंजीकरण
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सशक्त प्रदेश, सक्षम ट्रांसपोर्टर्स

खनिज विभाग, उ०प्र० द्वारा प्रदेश में पारदर्शी वैध खनन परिवहन व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ बनाने की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत समस्त ट्रांसपोर्टरों को व्यापार के एक समान अवसर उपलब्ध कराते हुए बाजार में किफायती मूल्यों पर खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उपखनिजों के खनन/उपखनिज परिवहन में प्रयुक्त समस्त वाहनों का पंजीकरण विभागीय पोर्टल पर कराना अनिवार्य है।

पंजीयन हेतु वेबसाइट पर क्लिक करें

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वाहन पंजीकरण

परिवहनकर्ताओ को अपने व्यवसायिक वाहनों का खनिज परिवहन में उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आज ही विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण करें । इससे न केवल विभाग को वाहनों की वास्तविक समय में प्रभावी निगरानी करने में सुविधा होगी, बल्कि परिवहनकर्ता भी अपने वाहन की स्थिति, मार्ग और संचालन से जुड़ी सटीक एवं त्वरित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे पारदर्शिता, दक्षता और संचालन में सुधार सुनिश्चित होगा।

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व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD)

GPS तकनीक द्वारा निर्मित, यह अत्याधुनिक डिवाइस ट्रैकिंग में सटीकता और विश्वसनीयता को नई परिभाषा प्रदान करती है । विविध अनुप्रयोगों हेतु डिज़ाइन की गई उन्नत सुविधाओं के साथ VLTD (AIS 140 मानक) जिसके माध्यम से अपने वाहनों की ट्रैकिंग के अनुभव को बेहतर बनाएँ। GPS तकनीक युक्त VLTD (AIS 140 मानक) के साथ अपने वाहन प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाएँ।

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खनिज परिवहन वाहनों की कलर कोडिंग

प्रदेश में उपखनिजों के खनन/परिवहन में प्रयुक्त पंजीकृत वाहनों की पहचान को सुगम एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से, खनिज विभाग द्वारा एक विशेष रंग योजना (colour scheme) एवं मानकीकृत पैटर्न(standardized pattern) अपनाए जाने का प्रावधान किया गया है।

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माइनटैग

माइनटैग एक अत्याधुनिक (advanced) एवं विशिष्ट RFID टैग है, जिसे विशेष रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में खनिज एवं उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की पहचान, प्रमाणीकरण (authentication) और निगरानी (monitoring) हेतु विकसित किया गया है।

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व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) के बारे में

खनिज विभाग, उ०प्र० द्वारा पारदर्शी एवं वैध खनन/ परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से समस्त परिवाहंकर्ताओ को प्रदेश में खनिजों के परिवहन में प्रयुक्त वाहनों की वास्तविक समय में निगरानी हेतु व्यवसायिक वाहनों पर वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम की स्थापना की जा रही है। यह परिवाहंकर्ताओ हेतु एक एकीकृत पोर्टल का भी कार्य करता है, जिसके माध्यम से एक ही प्लेटफार्म पर परिवहनकर्ता अपने वाहनों का प्रबंधन, निगरानी एवं महत्वपूर्ण अलर्ट/नोटीफिकेसन की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।

  • परिवहनकर्ता अपने वाहनों की ब्रेक डाउन रिपोर्ट सीधे अपने मोबाइल ऐप पर प्राप्त कर सकेंगे।
  • उपखनिजों के परिवहन के दौरान वाहन खराब होने की स्थिति में वाहन चालक द्वारा इसकी सूचना खनिज विभाग को प्रेषित करने की सुविधा।
  • परिवहनकर्ता अपने वाहन के माइनटैग की वैधता, वाहन से मैपिंग, सक्रियता की स्थिति इत्यादि का विवरण एक क्लिक में प्राप्त कर सकेंगे।
  • ट्रांसपोर्टर अपने वाहन से सम्बंधित व्हीकल ट्रैकिंग लोकेशन डिवाइस की सिम वैलिडिटी और IMEI नंबर से सम्बंधित जानकारी एकीकृत मोबाइल ऐप पर प्राप्त कर सकते है।
अधिक जानकारी हेतु वाहन पंजीकरण हेतु क्लिक करें

आज ही अपने वाहन को पंजीकृत करें

उपखनिजों के खनन/परिवहन में प्रयुक्त समस्त वाहनों का पंजीकरण विभागीय पोर्टल पर कराना अनिवार्य है।

वाहन पंजीकरण हेतु क्लिक करें

104800

प्रदेश में खनिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनो की अनुमानित संख्या

12629

कुल पंजीकृत वाहन

5

वी.एल.टी.डी इंटीग्रेटेड वाहन

9158

माइनटैग इंटीग्रेटेड वाहन

भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के बारे में

भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, उत्तर प्रदेश, 1955 में अपनी स्थापना के बाद से ही खनिज संपदा की खोज के साथ-साथ खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा देने और राज्य में खनिज आधारित उद्योगों के संरक्षण एवं विकास में सक्रिय रूप से संलग्न है विभाग की सभी गतिविधियाँ लखनऊ स्थित मुख्यालय और झाँसी, प्रयागराज, आगरा, सोनभद्र, अयोध्या, बरेली, गोरखपुर, गाजियाबाद और लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों से संचालित होती हैं।

भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय द्वारा सर्वेक्षण एवं खनिजो के सिद्धिकरण के कार्य को निष्पादित किया जाता है। इसके अतिरिक्त खनन पट्टा आवेदनों, निरीक्षण खनन क्षेत्रों का सीमांकन, खनिज राजस्व का अनुश्रवण का कार्य करता है तथा निदेशालय द्वारा प्रदेश में खनिज विकास हेतु राज्य सरकार को परामर्श प्रदान करने के साथ निम्नलिखित कार्यो का सम्पादन किया जाता है।

अधिक जानकारी हेतु

श्री योगी आदित्यनाथ

माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश

श्रीमती माला श्रीवास्तव, आई.ए.एस

सचिव एवं निदेशक, डी.जी.एम., उत्तर प्रदेश

श्री अरुण कुमार आई.ए.एस

अपर निदेशक, डी.जी.एम., उत्तर प्रदेश

व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) का उद्देश्य और परिकल्पना

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उद्देश्य

खनिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनों पर व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य वाहनों की भौगोलिक स्थिति के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करना।
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विज़न

खनिज परिवहन वाहनों की वास्तविक समय में भौगोलिक स्थिति की निगरानी करना है, जिससे सुरक्षा, मार्गदर्शन, दक्षता और संचालन में पारदर्शिता बढ़े।
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राज्य में खनिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनों की 24X7 निगरानी
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वाहन निर्दिष्ट खनन क्षेत्रों के भीतर चल रहे हैं एवं नियमों का पालन कर रहे हैं।
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वैधानिक खनिज परिवहन को बढ़ावा देना
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विनियमन में सहायता

व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) के प्रमुख परिणाम

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व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (VTS) के लाभ

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व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD)

VLT डिवाइस (AIS 140 मानक), GPS तकनीक द्वारा निर्मित, एक अत्याधुनिक ट्रैकिंग डिवाइस है, जिसके माध्यम से हमे अपने वाहनों की वर्तमान, प्रारंभ एवं गंतव्य स्थान की locations की जानकारी पूर्णतः सटीक और विश्वसनीय रूप में प्राप्त होती है। विविध अनुप्रयोगों हेतु डिज़ाइन की गई उन्नत सुविधाओं के साथ VLT डिवाइस (AIS 140 मानक) के माध्यम से वाहनों की ट्रैकिंग और प्रबंधन को और अधिक सुगम बनाया जा सकता है ।

अधिक जानकारी हेतु

माइनटैग एवं विशिष्ट RFID टैग

माइनटैग एक अत्याधुनिक एवं विशिष्ट RFID टैग है, जिसे विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में खनिज एवं उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की पहचान, प्रमाणीकरण (authentication) और निगरानी (monitoring) हेतु विकसित किया गया है।

इस टैग में वाहन से संबंधित सभी आवश्यक विवरण जैसे—वाहन की पहचान संख्या, पंजीकरण जानकारी, परिवहन हेतु स्वीकृत खनिज/उपखनिज की श्रेणी तथा विभागीय अनुमति-पत्र (permit) का समावेश होता है।

माइनटैग के माध्यम से खनिज विभाग यह सुनिश्चित करता है कि प्रदेश में खनिज एवं उपखनिजों का परिवहन, निर्धारित नियमों एवं मानकों के अनुरूप ही किया जा रहा है। इससे न केवल अवैध खनन एवं परिवहन की रोकथाम होती है, बल्कि पारदर्शिता (transparency), जवाबदेही (accountability) और सुशासन (good governance) को भी प्रोत्साहन मिलता है।

अधिक जानकारी हेतु माइनटैग कैसे स्थापित करें माइनटैग खरीदें

खनिज परिवहन वाहनों का कलर कोडिंग

प्रदेश में उपखनिजों के खनन/परिवहन में प्रयुक्त पंजीकृत वाहनों की पहचान को सुगम एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से, खनिज विभाग द्वारा एक विशेष रंग योजना (colour scheme) एवं मानकीकृत पैटर्न(standardized pattern) अपनाए जाने का प्रावधान किया गया है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. DGM पोर्टल पर कौन से वाहन पंजीकृत हो सकते हैं?

प्रदेश में खनन/खनन परिवहन संबंधी कार्यों में उपयोग होने वाले वाहन ही पंजीकरण के लिए पात्र हैं। गैर-खनन वाहनों का पंजीकरण नहीं होगा।

2. क्या अन्य समीपवर्ती राज्यों से उत्तर प्रदेश में आने वाले उपखानिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनों (Inter-State Transportation) का पंजीकरण कराना होगा?

हाँ, उन समस्त वाहनों का पंजीकरण, DGM पोर्टल पर कराना अनिवार्य है जो भी वाहन प्रदेश में खनन परिवहन संबंधी कार्यों में उपयोग होते हैं।

3. पंजीकरण के लिए कौन-सी जानकारी देनी होगी?

वाहन मालिक का नाम, वाहन नंबर, इंजन नंबर, चेसिस नंबर, पता इत्यादि अन्य आवश्यक सूचना शुद्धता के साथ पंजीकरण फॉर्म पर सावधानी से भरनी होगी। गलत या अधूरी जानकारी देने पर पंजीकरण रद्द हो सकता है।

4. . आवेदन के लिए कौन-से दस्तावेज और फोटो चाहिए?

आवेदन के लिए आवेदक को निम्न दस्तावेज एवं फोटो की आवश्यकता है:-

  • Vehicle Front Photo – (Only jpeg, png, jpg, pdf) – Less than 1 MB
  • Vehicle Side Photo – (Only jpeg, png, jpg, pdf) – Less than 1 MB
  • Vehicle Back Photo – (Only jpeg, png, jpg, pdf) – Less than 1 MB
  • RC (Registration Certificate) – (Only jpeg, png, jpg, pdf) – Less than 1 MB
  • Permit Document – (Only jpeg, png, jpg, pdf) – Less than 1 MB
5. गलत जानकारी या दस्तावेज देने का क्या परिणाम होगा?

असत्य, अधूरी या गलत जानकारी/दस्तावेज देने पर पंजीकरण निरस्त हो सकता है एवं भविष्य में रजिस्टर्ड वाहनों को मिलने वाली सुविधा से वंचित हो सकते हैं।

6. वाहन सत्यापन की प्रक्रिया क्या है?

पंजीकरण के बाद वाहन का DGM या संबंधित प्राधिकरण द्वारा सत्यापन होगा। सत्यापन पूरा होने पर ही पंजीकरण मान्य होगा।

7. मेरे डेटा की गोपनीयता का क्या?

आपका डेटा secure नेटवर्क के माध्यम से सर्वर को ट्रान्सफर होता है इसका उपयोग खनन/परिवहन से सम्बंधित नियमों के अनुपालन में होगा। यह गोपनीय रहेगा, एवं नियमों के उल्लंघन की जांच के समय अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया जा सकता है।

8. उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड की जिम्मेदारी किसकी है?

यह OTP आधारित लॉग इन व्यवस्था है। आपके उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड की सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है। अनधिकृत उपयोग के लिए DGM जिम्मेदार नहीं होगा।

9. पोर्टल के दुरुपयोग का क्या परिणाम है?

पोर्टल का गलत इस्तेमाल (जैसे हैकिंग या अनधिकृत पहुँच) करना अपराध है। इसके खिलाफ सख्त (IT अधिनियम के अंतर्गत) कानूनी कार्रवाई होगी।

10. नियमों में बदलाव का क्या नियम है?

DGM नियमों में कभी भी बदलाव कर सकता है। ट्रांसपोर्टरों को नवीनतम नियमों का पालन करना होगा।

11. पंजीकरण से पहले क्या करना चाहिए?
  • नियम एवं पंजीकरण प्रक्रिया संबंधी यूजर मैन्युअल ध्यान से पढ़ें।
  • पंजीकरण प्रक्रिया में डाटा एंट्री करते समय डाटा की शुद्धता अवश्य जांच लें।
  • अधिक जानकारी या सहायता के लिए https://registration.vtsdgm.up.in/terms-and-conditions पर संपर्क करें।
12. क्या वाहन पंजीकरण के लिए कोई शुल्क निर्धारित है?

नहीं। उपखानिजों के खनन/परिवहन में प्रयुक्त वाहनों के पंजीकरण की प्रक्रिया बिलकुल निःशुल्क है. विभाग द्वारा इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

13. वाहन पंजीकरण के माध्यम से किस प्रकार की समस्या का समाधान किया जाना है?

खनिज विभाग, उ०प्र० द्वारा जल्द ही खनिजों के वैध खनन/परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ट्रांसपोर्टर/वाहन मालिकों के लिए उपखानिज परिवहन में आने वाली निम्नलिखित व्यवहारिक समस्या को दूर करने की योजना है –

  • कतिपय संयोगिक मामलों में किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे वाहन मालिक के वाहन के विवरण का उपयोग कर जालसाजी के द्वारा TP जेनेरेट किया जाना।
  • सटीक व्हीकल ब्रेक-डाउन संबंधी सूचना दर्ज न होने के कारण TP एक्सपायर होने के पश्चात विलम्ब से यात्रा पूरी करने के मामले में नियमानुसार शास्ति आरोपित करते समय यथोचित यात्रा व्यवधान का संज्ञान न लिया जाना।
  • कतिपय जालसाजों द्वारा माईन-टैग का दुरूपयोग कर अवैध परिवहन करना एवं वैध खनिज परिवहन में संलग्न वाहन मालिकों को हतोत्साहित करने के प्रयास करना।
  • कतिपय मामलों में वाहन मालिक को अँधेरे में रखते हुए उनके वाहन चालक द्वारा बिना TP के परिवहन करना एवं वाहन के अवैध परिवहन में निरुद्ध होने पर वाहन मालिक द्वारा पेनाल्टी भरने को मजबूर होना।
  • उपखानिजों के परिवहन संबंधी अन्य व्यवहारिक समस्याओं का समाधान।
14. वाहन पंजीकरण के क्या लाभ हैं?

वाहन पंजीकरण के माध्यम से निम्नलिखित लाभ ट्रांसपोर्टरों को प्राप्त होंगे –

  • भ्रमवश/त्रुटिवश अनावश्यक होने वाले चालान में कमी आयेगी जिससे समय एवं धन के अपव्यय पर रोक लगेगी।
  • पंजीकृत वाहनों की जांच में न्यूनतम समय लगने से उपखनिजों की डिलीवरी व्यवस्था में सुधार होगा।
  • वाहन मालिकों को अपने वाहनों पर निर्गत परिवहन प्रपत्र की जानकारी एक क्लिक पर प्राप्त करने की सुविधा।
  • विभाग के साथ जुड़कर अपने व्यवसाय को आगे बढाने का अवसर।

उक्त व्यवस्था से उपखनिजों के वैध खनन/परिवहन को अधिकाधिक बढ़ावा देते हुए किफायती दरों पर आमजन को उपखानिज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभाग द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं, जिनका लाभ केवल विभाग में पंजीकृत वाहनों को मिलेगा।

महत्वपूर्ण लिंक

व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम हेल्प डेस्क में आपका स्वागत है – यहां आपको खनिज परिवहन से सम्बंधित समस्त समस्याओं के समाधान और सहायता हेतु संपर्क करे |

हेल्प डेस्क
+91-9511119551